Seminar / 19-Jun-2023

ROLE OF KASHMIR IN THE INDIA FREEDOM STRUGGLE

19-06-2023 को'भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कश्मीर की भूमिका' विषय पर गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, अनंतनाग में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। सेमिनार का आयोजन गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज, अनंतनाग और थिंक इंडिया के द्वारा हुआ।यह कार्यक्रम आज़ादी का अमृत महोत्सव के तत्वाधान में संस्कृति मंत्रालय के द्वारा क्रांतितीर्थ श्रृंखला के अंतर्गत सेंटर फॉर एडवांस्ड रिसर्च ऑन डेवलपमेंट एंड चेंज के सहयोग से किया गया। 

प्रसिद्ध लेखक, वरिष्ठ पत्रकार एवं जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर के निदेशक श्री आशुतोष भटनागर कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे। श्री भटनागर ने अपने व्याख्यान में कहा कि औपनिवेशिक शासन की शुरुआत 1498 में वास्को-डी-गामा के भारत आगमन से हुई। उन्होंने कहा कि वास्को-द- गामा का इरादा लूटपाट करना था न कि व्यापार करना।  इतिहास पुस्तकों में अंकित है कि उसने अपनी पहली यात्रा के दौरान कुछ दस व्यापारियों का अपहरण कर लिया और उन्हें मार डाला।

गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज अनंतनाग के प्राचार्य प्रो. मुजफ्फर अहमद भट ने अपने स्वागत भाषण में सर्वानंद कौल प्रेमी, गिरिधारी लाल डोगरा, मकबूल शेरवानी, ब्रिगेडियर सहित विभिन्न कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों की भूमिका पर प्रकाश डाला।राजेंद्र सिंह, प्रेम नाथ डोगरा, कांता वजीर, गुलाम नबी मीर, हाकिम अब्दुल रशीद, पृथ्वीनाथ कौल और दर्शकों से इन गुमनाम नायकों की भूमिका को पहचानने और उनका कीर्तिगान करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि आजादी का अमृत महोत्सव वहअभियान जिसने हमें उन सभी लोगों को याद करने का मौका दिया है जिन्होंने हमारे देश के स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया। 

गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज अनंतनाग के इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ कौसर अहमद गनई ने 'स्वतंत्रता संग्राम में कश्मीरियों की भूमिका' विषय पर व्याख्यान दिया। अपने व्याख्यान में डॉ. कौसर ने उल्लेख किया कि कैसे ब्रिटिश उपनिवेशवादी इस धारणा से ग्रसित थे कि भारत में कभी भी एक एकीकृत राष्ट्रवादी भावना नहीं हो सकती है, क्योंकि यह विभिन्न क्षेत्रों और संस्कृतियों में विभाजित एक विविध देश था। लेकिन भारतीयों ने उन्हें गलत साबित कर दिया। महात्मा गांधी और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों के मार्गदर्शन में राष्ट्रवाद देश के कोने-कोने में पहुंचा।डॉ. कौसर ने कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों (विशेष रूप से अनंतनाग से सर्वानंद कौल प्रेमी, दीना नाथ जादू, कांति चंद्र जादू, मीर अब्दुल मजीद, सैफ-उद-दीन किचलू, अन्य) की भूमिका पर प्रकाश डाला। डॉ कौसर ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में कश्मीरियों की भागीदारी के बावजूद, इन दिग्गजों को पाठ्यपुस्तकों में भारतीय राष्ट्रवाद के संदर्भ में  उचित स्थान नहीं दिया गया है।कश्मीरी कभी भी भारतीय राष्ट्रवाद से राजनीतिक रूप से अलग-थलग नहीं रहे। भारतीय राष्ट्रवाद अध्ययन (पारंपरिक इतिहासलेखन) ने छोटे क्षेत्रों और स्थानीय नेताओं (जैसे कश्मीर) को छोड़कर केवल प्रमुख लोगों पर ध्यान केंद्रित किया है। डॉ कौसर ने कश्मीरी स्वतंत्रता सेनानियों को राष्ट्रीय स्तर पर उनका उचित स्थान देने के महत्व को दोहराया और यह कहते हुए अपना व्याख्यान समाप्त किया कि प्रत्येक राष्ट्रवादी को सम्मानित और प्रलेखित किया जाना चाहिए। 

थिंक इंडिया के श्री सुनील वैशिष्ठ, वनस्पति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रो. अब्दुल मजीद चालकू और गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज अनंतनाग के स्टाफ सचिव प्रो. फारूक अहमद मलिक, वाद-विवाद और संगोष्ठी समिति के संयोजक और कार्यक्रम के समन्वयक सभा में उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों में शामिल थे। समापन सत्र में मुख्य अतिथि, अतिथि वक्ताओं एवं गणमान्य व्यक्तियों का अभिनंदन किया गया।कार्यक्रम के संचालन के लिए श्री नुमेर अहमद और श्री बुरहान को उनके योगदान के लिए सराहना का प्रतीक भी प्रदान किया गया। गवर्नमेंट डिग्री कॉलेज अनंतनाग के भूविज्ञान विभाग के सहायक प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष डॉ. नवीन हखू द्वारा एक औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में विशेषज्ञों, संकाय सदस्यों और बड़ी संख्या में छात्रों ने भाग लिया।

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